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लेखनी प्रतियोगिता -16-May-2022

जिसे जिंदगी की राहों में भूला बैठे थे हम,

आज लौटकर ज़हन में उनकी याद आई है।


वो खिलखिलाती हंसी, वो हसीं मुलाकातें,

तपती हुई जमीं पर जैसे कोई घटा छाई है। 


वो ख़त जिसकी स्याही भी मिट चुकी थी,

 सालों बाद आज उससे महक सी आई है।


रात भर जाग कर भी जो बात अधूरी थी,

उस अधूरेपन का एहसास साथ लाई है।


हां फिर सुखे हुए गुलाब से महक आई है,

लेकिन मेरे पास कुछ यादें और तन्हाई है।

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12 Comments

Anam ansari

17-May-2022 09:30 PM

👌👌

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Fareha Sameen

17-May-2022 09:11 PM

Nice

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Haaya meer

17-May-2022 07:13 PM

Amazing

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